भीगी रात और गुमसुम का अंश a part of Bheegi Raat Aur Gumsum |
भीगी रात और गुमसुम Bheegi Raat Aur Gumsum
आज की रात और रातों से अलग है। आज की रात और रातों से ज्यादा लंबी, काली और भयावह लगती है। घड़ी सुबह के 4 बजा रही है। आधी रात से ही मूसलाधार बारिश हो रही है। थमने का नाम ही नहीं ले रही। कुछ लोग इस बारिश से खुश होंगे। उनके लिए ये मेघ बारिश के रूप में खुशी लेकर आए हैं। हां ये सच है। बारिश को देख कर हृदय खिल उठता है। चंचलता आ जाती है। इंसान तो क्या, जानवर भी खुश होते हैं। हमने मोर को इस मौसम में नाचते देखा है। फूल पौधों को रिमझिम बूंदें छूती हैं तो मारे खुशी के दोगुनी रफ्तार से बढ़ते हैं। मिट्टी एक अलग ही खुशबू से महक उठती है। मेंडक मारे खुशी के अपनी ही बोली में ना जाने क्या क्या गाने लगते हैं।
बरसात के मौसम का खूबसूरत दृश्य a beautiful view of rainy season |
कुछ लोग इस बारिश से खुश होंगे। कुछ बच्चे बारिश की वजह से अगले दिन की स्कूल की छुट्टी की कामना करते होंगे। कोई कवि अपने काग़ज़ कलम से अपने एहसास लिखता होगा।
लेकिन कुछ के लिए यह बारिश संकट लेकर भी आई होगी। सरहद पर तैनात जवान भीगता हुआ गश्त लगाता होगा। बिलों में रहने वाले जीव पानी भरने की वजह से अपने बिलों से बाहर निकल आए होंगे। किसी के घर में अंधेरा हो गया होगा। गांव में किसी का परिवार अपनी टपकती कच्ची छत के नीचे सिकुड़ कर बैठा होगा। किसी के कच्छे मकान कि दीवार में दरार आती होगी। किसी के घर में पानी भर गया होगा। किसी के जानवर सारी रात बारिश में भीगते होंगे। खेत की रखवाली का उद्देश्य लेकर अपने खेतों के किसी कोने पर सोता हुआ कोई किसान उठ बैठा होगा और अपनी आंखों से अपनी लहलहाती तैयार फसल को बर्बाद होता देखता होगा। नदी का पानी इस बारिश से ऊपर आ गया होगा। मछुआरों का कुछ दिन का रोज़गार भी खतरे में जाता दिखता होगा। किसी का चूल्हा जलाने के लिए इकट्ठा किया ईंधन भीग गया होगा। किसी के छत पर सूखते कपड़े भीग गए होंगे।
a car stuck in mud |
लेकिन कहीं पर कोई ऐसा भी इंसान होगा जो इस बारिश को देख कर बे वजह उदास हो गया होगा। अपने अतीत में खोया होगा। किसी को याद करता होगा। अपनी यादों को टटोलता होगा। कल्पनाएं करता होगा। इसी उदासी में ना जाने क्या क्या सोचते, रात अपना अंधियारा समेट कर कब गुज़र गई, पता भी न चला। चिड़ियों की आवाजे आने लगी। आसमान के कोने में लाली भी दिखने लगी। लेकिन वह ना जाने क्या क्या सोच रहा है। शायद बादलों की तरह उसका भी मन बहुत भारी है। वह कल्पना करता है की शायद बादल भी उसी की तरह दुखी होगा। उस को भी किसी की याद आती होगी या आज बहुत दिनों बाद कोई अपना मिला होगा, जिसके जरा से छेड़ने पर वह रो दिया होगा। और एक बार जब आंसू निकल होंगे तो उसका भारी मन हल्का हुआ होगा। फिर वह और रोया होगा। मानो आज जी भर के बरसना चाहता है। शायद बिल्कुल हल्का हो जाना चाहता है। पर में खुश हूं कि बादल ही सही, उसका मन हल्का होगा।