Monday 1 June 2020

भीगी रात और गुमसुम, Bheegi Raat Aur Gumsum

भीगी रात और गुमसुम, Bheegi Raat Aur Gumsum
भीगी रात और गुमसुम का अंश a part of Bheegi Raat Aur Gumsum


भीगी रात और गुमसुम Bheegi Raat Aur Gumsum



आज की रात और रातों से अलग है। आज की रात और रातों से ज्यादा लंबी, काली और भयावह लगती है। घड़ी सुबह के 4 बजा रही है। आधी रात से ही मूसलाधार बारिश हो रही है। थमने का नाम ही नहीं ले रही। कुछ लोग इस बारिश से खुश होंगे। उनके लिए ये मेघ बारिश के रूप में खुशी लेकर आए हैं। हां ये सच है। बारिश को देख कर हृदय खिल उठता है। चंचलता आ जाती है। इंसान तो क्या, जानवर भी खुश होते हैं। हमने मोर को इस मौसम में नाचते देखा है। फूल पौधों को रिमझिम बूंदें छूती हैं तो मारे खुशी के दोगुनी रफ्तार से बढ़ते हैं। मिट्टी एक अलग ही खुशबू से महक उठती है। मेंडक मारे खुशी के अपनी ही बोली में ना जाने क्या क्या गाने लगते हैं।

भीगी रात और गुमसुम, Bheegi Raat Aur Gumsum
बरसात के मौसम का खूबसूरत दृश्य  a beautiful view of rainy season




कुछ लोग इस बारिश से खुश होंगे। कुछ बच्चे बारिश की वजह से अगले दिन की स्कूल की छुट्टी की कामना करते होंगे। कोई कवि अपने काग़ज़ कलम से अपने एहसास लिखता होगा।


लेकिन कुछ के लिए यह बारिश संकट लेकर भी आई होगी। सरहद पर तैनात जवान भीगता हुआ गश्त लगाता होगा। बिलों में रहने वाले जीव पानी भरने की वजह से अपने बिलों से बाहर निकल आए होंगे। किसी के घर में अंधेरा हो गया होगा। गांव में किसी का परिवार अपनी टपकती कच्ची छत के नीचे सिकुड़ कर बैठा होगा। किसी के कच्छे मकान कि दीवार में दरार आती होगी। किसी के घर में पानी भर गया होगा। किसी के जानवर सारी रात बारिश में भीगते होंगे। खेत की रखवाली का उद्देश्य लेकर अपने खेतों के किसी कोने पर सोता हुआ कोई किसान उठ बैठा होगा और अपनी आंखों से अपनी लहलहाती तैयार फसल को बर्बाद होता देखता होगा। नदी का पानी इस बारिश से ऊपर आ गया होगा। मछुआरों का कुछ दिन का रोज़गार भी खतरे में जाता दिखता होगा। किसी का चूल्हा जलाने के लिए इकट्ठा किया ईंधन  भीग गया होगा। किसी के छत पर सूखते कपड़े भीग गए होंगे।
भीगी रात और गुमसुम, Bheegi Raat Aur Gumsum
a car stuck in mud


लेकिन कहीं पर कोई ऐसा भी इंसान होगा जो इस बारिश को देख कर बे वजह उदास हो गया होगा। अपने अतीत में खोया होगा। किसी को याद करता होगा। अपनी यादों को टटोलता होगा। कल्पनाएं करता होगा। इसी उदासी में ना जाने क्या क्या सोचते, रात अपना अंधियारा समेट कर कब गुज़र गई, पता भी न चला। चिड़ियों की आवाजे आने लगी। आसमान के कोने में लाली भी दिखने लगी। लेकिन वह ना जाने क्या क्या सोच रहा है। शायद बादलों की तरह उसका भी मन  बहुत भारी है। वह कल्पना करता है की शायद बादल भी उसी की तरह दुखी होगा। उस को भी किसी की याद आती होगी या आज बहुत दिनों बाद कोई अपना मिला होगा, जिसके जरा से छेड़ने पर वह रो दिया होगा। और एक बार जब आंसू निकल होंगे तो उसका भारी मन हल्का हुआ होगा। फिर वह और रोया होगा। मानो आज जी भर के बरसना चाहता है। शायद बिल्कुल हल्का हो जाना चाहता है। पर में खुश हूं कि बादल ही सही, उसका मन हल्का होगा।

ईद का त्यौहार पर निबंध, मीठी ईद, ईद-उल-फ़ित्र |Eid ka Tyohar par nibandh, Mithi Eid, Eid-Ul-Fitr.


ईद का त्यौहार पर निबंध, मीठी ईदईद-उल-फ़ित्र |Eid ka Tyohar par nibandh, Mithi Eid, Eid-Ul-Fitr.

ईद का त्यौहार पर निबंधEid ka Tyohar par nibandh, ईद के बारे मेंईद विषय पर जानकारी | यहाँ हम ईद-उल-फ़ित्र यानि मीठी ईद के विषय में लिख रहे हैं |

Jama Masjid Delhi
दिल्ली की जामा मस्जिद में ईद की नमाज़ पढ़ते लोग 

ईद का त्यौहार पर निबंधEid ka Tyohar par nibandh, परिचय |



ईद का त्यौहार पर निबंधEid ka Tyohar par nibandh,
हमारा भारत देश विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं का देश है | भारत में अनेकों धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं | अपनी संस्कृति एक दूसरे  के साथ बांटते हैं | यहाँ सभी तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं | इन त्योहारों में एक ईद का त्यौहार भी है | ईद का त्यौहार मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है | इस्लामी कैलेंडर वर्ष में दो ईद मनाई जाती हैं| ईद उल फ़ित्र और ईद उल अज़हा या ईद उल जुहा | ईद-उल-फ़ित्र रमज़ान के महीने के ठीक बाद आती है | इसे मीठी ईद भी कहा जाता है | ईद-उल-अज़हा, मीठी ईद के ढाई महीने बाद मनाई जाती है | भारत में ईद-उल-जुहा को बकरा ईद या बकरीद भी कहते हैं | यहाँ हम ईद-उल-फ़ित्र यानि मीठी ईद के विषय में लिख रहे हैं | यह त्यौहार मूल रूप से प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है | ईद का त्यौहार मुस्लिम समाज के लोग पूरे हर्ष के साथ मनाते हैं | जिसकी शुरुआत सुबह की नमाज़ के साथ होती है 

ईद का त्यौहार कब मनाया जाता है?

यह त्यौहार रमज़ान के महीने के बाद शव्वाल के महीने की पहली तारीख़ को मनाया जाता है | जिसकी शुरुआत मुस्लिम मान्यता के अनुसार नए चाँद के साथ होती है | जिसे ईद का चाँद भी कहा जाता है | रमज़ान के पूरे महीने में मुस्लिम लोग रोज़े रखते हैं | जिसके उपहार स्वरूप ईद मनाई जाती है | चाँद देख कर सभी लोग ख़ुशी प्रकट करते हुए एक दुसरे को ईद की बधाई देते हैं तथा ईश्वर को धन्यवाद देते हैं |
Jama Masjid Delhi
दिल्ली की जमा मस्जिद का एक दृश्य 

ईद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

ईद का त्यौहार प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है | सभी इस त्यौहार को मिल जुल कर मानते हैं | मुस्लिम लोग इस त्यौहार में ईश्वर का धन्यवाद करते हैं जिसने उनको रमजान के सभी रोज़े रखने की शक्ति प्रदान की | यह त्यौहार अमीर लोगों को ग़रीबों को साथ लेकर चलने की भी शिक्षा देता है | ईद की नमाज़ से पहले सभी लोग गरीब लोगो के लिए दान करते हैं जिसको फितरा कहा जाता है | फितरा देना  सभी के लिए वाजिब होता है | छूटे बच्चों का फितरा उनके परिजनों द्वारा अदा किया जाता है | फ़ितरा को ज़कात-उल फ़ित्र भी कहते हैं | इसका उस गरीब वर्ग की मदद करना होता है जिसकी आय बहुत कम है और जो त्यौहार पर वस्त्र नहीं खरीद सकते | जब सभी लोग गरीबों के लिए ज़कात-उल फ़ित्र देते हैं तो यह उन गरीबों तक पहुंचाया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप वह लोग भी ईद मनाते हैं|
A dish
एक व्यंजन 

ईद का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

ईद की नमाज़ | 

ईद के दिन सभी सुबह उठते हैं तथा नहा धो कर नए कपड़े पहनते हैं | अपने ऊपर इत्र भी लगते हैं | उसके बाद सूरज निकलने के कुछ समय बाद ईद की नमाज़ जिसे दोगाना कहा जाता है, पढ़ने नजदीक के बड़े ईदगाह जाते हैं | ईदगाह में दोगाना पढ़ी जानती है | नमाज़--दोगाना में लोग ईश्वर से रोज़े और उनकी प्रार्थनाओं की कुबूल होने की प्रार्थना करते हैं| नमाज़ के बाद सभी लोग एक दुसरे से गले मिलते हैं | माना जाता हैं के गले मिलते समय वह सभी अपने पुराने झगड़े ख़त्म कर देते हैं | गले मिलते हुए सभी एक दुसरे को ईद मुबारक कहते हैं | ईद मुबारक का अर्थ ईद की शुभकामनाएं होता है | घर आकर सभी दुसरे से खुशियाँ बांटते हुए ईद के तोहफे देते हैं | तोहफों का आदान प्रदान होता है | अपने मित्रों और सम्बन्धियों को भोजन पर निमंत्रण दिया जाता  है | इस दिन कई तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं | जैसे खीरसेवईयाहलवा, और मीठी और चटपटी चीजें बनाई जाती हैं |  

ईद की वेशभूषा | 

ईद के दिन  के लिए कोई खास वस्त्र निश्चित नहीं हैं | लोग इस दिन नए वस्त्र पहनते हैं | प्राय कुरता पजामा और सर पर टोपी पहनते हैं | इसके अलावा वह इत्र भी लगते हैं |  

बच्चों की ईदबच्चों में ईद का महत्व |  

ईद का दिन वैसे तो सभी उम्र के लोगों के लिए ख़ुशी का त्यौहार है परन्तु इसकी सबसे ज्यादा ख़ुशी बच्चों में देखने को मिलती है | क्योंकि इस दिन उनको नए कपड़ों के साथ उनके बड़ों से खर्च करने के लिए कुछ पैसे मिलते हैं | जिसको इदी कहा जाता है | इसके बाद बच्चे नज़दीक के मेले में जाते हैं | मेले में तरह तरह की खाने की चीजों के शाथ  बहुत से झूले भी झूलते हैं और अपने लिए कई प्रकार के खिलोने भी खरीदते हैं | इसके अलावा सम्बन्धियों के घर जाने पर भी उनको सभी से ईदी मिलती है | 

ईद का त्यौहार हमें क्या शिक्षा देता है?

ईद का त्यौहार हमें मिलजुल कर रहने और एक दुसरे का सम्मान करने की शिक्षा देता है | इसके अलावा यह गरीब लोगों की सहायता करने के लिए भी हमें प्रेरित करता है | यह हमें ईश्वर के आख़िरी सन्देष्टा हज़रत मोहम्मद के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता है | उनके आदर्शों में प्रमुख हैं - सच बोलनाईश्वर की उपशना करनामिलजुल कर रहनागरीबो के लिए दयावान रहना आदि |  

पाठकों से |                        

 उम्मीद है दोस्तों की आपको ईद पर निबंध विषय पर जानकारी पसंद आयी होगी | आपको पढ़कर कैसा लगा हमें अपने कॉमेंट के द्वारा जरूर अवगत कराएं | अगर जानकारी अच्छी लगे तो जरा भी अलसी  बनें | अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को साझा करें | इसी तरह और भी बहुत से विषयों पर जानकारी के लिए क्लिक करें | हिंदी निबंधशायरीग़ज़लकवितायें,कहानियाँ और भी बहुत कुछ |